भ्रष्टाचार और अपराध पर प्रशासन की सक्रियता: बिहार में बदलते शासन का संकेत

भ्रष्टाचार और अपराध पर प्रशासन की सक्रियता: बिहार में बदलते शासन का संकेत

बिहार, जो कभी प्रशासनिक सुशासन और विकास के लिए पीछे माना जाता था, अब एक नए युग की ओर बढ़ रहा है। बीते कुछ महीनों में राज्य सरकार और प्रशासनिक तंत्र ने भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया है। यह बदलाव न केवल प्रशासनिक कार्यशैली में दिख रहा है, बल्कि जनता के विश्वास में भी इजाफा कर रहा है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अब कोई भी भ्रष्ट अधिकारी बख्शा नहीं जाएगा। हाल ही में भ्रष्टाचार के खिलाफ कई बड़े कदम उठाए गए:

  • लोकायुक्त की सिफारिशों पर कार्रवाई: कई अधिकारियों को निलंबित या गिरफ्तार किया गया है जो विकास योजनाओं में घोटाले कर रहे थे।

  • ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम: योजना, राशन, पेंशन जैसी सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता के लिए ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया गया है।

  • दबिश और छापेमारी: निगरानी विभाग की टीमों ने कई जिलों में छापेमारी कर करोड़ों की अवैध संपत्ति उजागर की।

अपराध के खिलाफ सख्ती

राज्य में संगठित अपराध, भूमि विवाद, महिला अपराध और शराबबंदी के उल्लंघन को गंभीरता से लिया गया है। प्रशासन की निम्नलिखित कार्रवाइयाँ चर्चा का विषय बनी हुई हैं:

  • मुजफ्फरपुर ज़मीन विवाद गोलीकांड: पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया और पीड़ित परिवार को सुरक्षा दी।

  • रोहतास सड़क हादसा के बाद ट्रैफिक पुलिस तैनात: बेतरतीब गाड़ियों के खिलाफ अभियान चलाकर कई वाहन जब्त किए गए।

  • शराबबंदी कानून का सख्त पालन: नकली शराब बनाने वालों पर ताबड़तोड़ छापे, हजारों लीटर शराब जब्त।

  • महिला अपराधों पर विशेष निगरानी: महिला हेल्पलाइन और पुलिस पेट्रोलिंग को और मज़बूत किया गया है।

जनता का सहयोग और जागरूकता

इन कार्रवाइयों का असर केवल सरकारी दफ्तरों तक सीमित नहीं है, बल्कि जनता भी अब जागरूक हो रही है। भ्रष्टाचार की शिकायतें अब सीधे सीएम हेल्पलाइन और लोकायुक्त तक पहुंचाई जा रही हैं। नागरिक अब सोशल मीडिया और मोबाइल ऐप्स के ज़रिए भी शिकायत दर्ज कर रहे हैं।

निष्कर्ष: एक सकारात्मक बदलाव की ओर

बिहार में प्रशासन की यह सक्रियता राज्य के भविष्य की दिशा तय कर रही है। भ्रष्टाचार और अपराध पर नियंत्रण पाने की यह कोशिश केवल कानून लागू करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन बनती जा रही है। यदि यह रफ्तार बनी रही, तो बिहार एक बार फिर सुशासन का उदाहरण बन सकता है।