ईरान–इस्राइल युद्ध: अमेरिका के साथ मिलकर इस्राइल ने किए भीषण हमले, हालात विस्फोटक


📅 तारीख: 22 जून 2025
युद्ध की आग और गहरी होती जा रही है
पश्चिम एशिया एक बार फिर युद्ध की भयंकर चपेट में है। ईरान और इस्राइल के बीच शुरू हुआ सैन्य संघर्ष अब एक खुला युद्ध बन चुका है, जिसमें अमेरिका की भी प्रत्यक्ष भागीदारी सामने आ चुकी है।
इस तनावपूर्ण स्थिति में तेहरान, तेल अवीव और वॉशिंगटन की भूमिका ने पूरी दुनिया की नजरें इस क्षेत्र पर टिका दी हैं।
इस्राइल और अमेरिका का संयुक्त हमला
21 जून की रात, इस्राइल और अमेरिका ने मिलकर ईरान के तीन बड़े परमाणु ठिकानों – फोर्दो, नतांज़ और इस्फहान – पर हवाई हमला किया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने बयान दिया,
“हमारे हमले अभूतपूर्व और 100% सफल रहे हैं। ईरान के परमाणु खतरे को हमने करारा जवाब दिया है।”
वहीं इस्राइली सेना ने दावा किया है कि उनके लड़ाकू विमानों ने ईरान की आईआरजीसी (IRGC) के कई ठिकानों को नष्ट कर दिया है।
ईरान की जवाबी कार्रवाई
ईरान ने तुरंत ही पलटवार करते हुए बैलिस्टिक मिसाइलों और आत्मघाती ड्रोन से इस्राइल पर हमला किया।
बेर्शेबा शहर का सोरोका मेडिकल सेंटर एक मिसाइल हमले का शिकार बना जिसमें कई नागरिक घायल हो गए।
हाइफ़ा और यरूशलेम को भी निशाना बनाया गया।
ईरान की सरकारी एजेंसी का बयान था:
"हम किसी भी आक्रमण को बिना जवाब छोड़े नहीं बैठेंगे।"
हजारों की जान पर बन आई
इस युद्ध के चलते दोनों देशों में भारी नुकसान हुआ है:
ईरान में 400+ नागरिकों की मौत और 3000 से अधिक घायल।
इस्राइल में कई शहरों में तबाही, अस्पतालों और स्कूलों को निशाना बनाया गया।
ईरान में इंटरनेट बंद, जिससे जनसंचार ठप हो गया है।
लाखों लोग तेहरान छोड़कर उत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को मजबूर हुए।
राजनीतिक और वैश्विक प्रतिक्रिया
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया तेज की है, जिससे संकेत मिलता है कि वे खुद को खतरे में महसूस कर रहे हैं।
अमेरिका के हमले पर ईरान ने चेतावनी दी है कि
"अगर अमेरिका ने और हस्तक्षेप किया, तो पूरा क्षेत्र जल उठेगा।"
संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और अरब लीग ने युद्ध विराम की तत्काल अपील की है, परंतु ज़मीनी हालात इसके ठीक उलट हैं।
🇮🇳 भारत का ऑपरेशन ‘सिंधु’
भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत ईरान से 500+ भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने का कार्य शुरू किया है।
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा:
“हम एक-एक नागरिक की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
निष्कर्ष
ईरान–इस्राइल युद्ध अब केवल दो देशों की लड़ाई नहीं रहा। इसमें अमेरिका की भागीदारी, परमाणु ठिकानों पर हमले और ईरान की जवाबी कार्रवाई ने इसे वैश्विक संकट में बदल दिया है।
जहाँ एक ओर कूटनीति की कोशिशें की जा रही हैं, वहीं युद्ध के मैदान में मिसाइलों और ड्रोन की गूंज से पूरा क्षेत्र हिल रहा है।
यदि यही स्थिति बनी रही, तो यह युद्ध पूरे मध्य-पूर्व को चपेट में ले सकता है।
📷 फोटो गैलरी शामिल की जा सकती है:
तेहरान पर हमला
बेर्शेबा अस्पताल की तस्वीरें
भारतीय नागरिकों की वापसी
ईरान की मिसाइलें और सैन्य वाहन
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