राजद–जदयू का मिलन? बिहार की राजनीति में उठते सवाल और जमीनी सच्चाई

भूमिका:

बिहार की राजनीति लंबे समय से अस्थिर गठबंधनों, बदलते समीकरणों और अप्रत्याशित फैसलों के लिए जानी जाती है। हर चुनाव से पहले नए गठजोड़ों और ‘घर वापसी’ की अटकलें शुरू हो जाती हैं। इस बार चर्चा है – क्या राजद (राष्ट्रीय जनता दल) और जदयू (जनता दल यूनाइटेड) फिर एक साथ आ सकते हैं?

इस लेख में हम समझेंगे:

  • क्यों ये चर्चा ज़ोर पकड़ रही है?

  • क्या कोई ठोस संकेत हैं?

  • और वास्तव में बिहार में राजनीतिक जमीन पर क्या चल रहा है?

अतीत की राजनीति: जब राजद और जदयू साथ थे

  • 2015 का महागठबंधन
    लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और कांग्रेस ने एक साथ मिलकर भाजपा को हराया था। यह गठबंधन बिहार की राजनीति में ऐतिहासिक साबित हुआ, जिसमें नीतीश मुख्यमंत्री बने और तेजस्वी उपमुख्यमंत्री।

  • 2017 का ‘यू-टर्न’
    भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद नीतीश कुमार ने राजद का साथ छोड़ दिया और भाजपा के साथ सरकार बना ली। यहीं से राजद और जदयू के बीच दूरियां बढ़ गईं।

2025 में फिर से सियासी हलचल क्यों?

➤ हाल की घटनाएं:

  1. लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव की संयुक्त बैठक (19 जून 2025)

    • इस बैठक में राजद के बड़े नेता, संगठन प्रभारी और जिला प्रतिनिधि शामिल हुए।

    • बैठक में स्पष्ट किया गया कि तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री चेहरा होंगे।

  2. जदयू की चुप्पी

    • जदयू की तरफ से कोई औपचारिक बयान नहीं आया कि वे राजद के साथ फिर जुड़ने पर विचार कर रहे हैं।

    • नीतीश कुमार भाजपा नेताओं के साथ मिलकर NDA की सीटों के बंटवारे पर बैठकें कर रहे हैं।

  3. तेजस्वी यादव के बयान

    "अब बिहार को तेजस्वी चाहिए, तेजस्वी तैयार है। नीतीश जी ने तो खुद कह दिया था कि अब युवा नेतृत्व आना चाहिए।"

क्या सच में राजद–जदयू का मिलन हो सकता है?

बिंदुस्थितिक्या दोनों दलों के बीच बातचीत चल रही है?❌ नहींक्या जदयू ने एनडीए छोड़ा है?❌ नहींक्या तेजस्वी को सीएम फेस घोषित किया गया?✅ हांक्या महागठबंधन में जदयू शामिल होने जा रहा है?❌ कोई संकेत नहीं

अभी तक की सभी जानकारियों के अनुसार राजद और जदयू के बीच कोई औपचारिक या अनौपचारिक बातचीत नहीं हुई है।

संभावनाएं और राजनीतिक विश्लेषण:

राजद का लक्ष्य:

  • तेजस्वी को यूथ आइकॉन बनाकर चुनाव लड़ना

  • दलित–ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करना

  • महागठबंधन (INDIA bloc) को एकजुट रखना

जदयू का मकसद:

  • भाजपा के साथ रहकर सत्ता बनाए रखना

  • बिहार में विकास और कानून व्यवस्था का एजेंडा आगे बढ़ाना

  • खुद को “स्थायित्व का चेहरा” दिखाना

विश्लेषण: अफवाहें कैसे फैलती हैं?

बिहार में राजनीतिक अटकलें इतनी आम हैं कि कभी तेजस्वी–नीतीश का मिलन, तो कभी नीतीश–मोदी का टकराव खबर बन जाता है। लेकिन मीडिया में छपने वाली हर ‘भीतरी सूत्र’ की खबर ज़रूरी नहीं कि सच्चाई पर आधारित हो।

राजनीति में हर बयान, हर मुलाकात का मतलब गठबंधन नहीं होता — कई बार यह सिर्फ दबाव बनाने की रणनीति होती है

मीडिया के लिए फोटोज/गैलरी सुझाव:

  1. लालू–तेजस्वी की बैठक की फोटो

  2. नीतीश कुमार और बीजेपी नेताओं की मीटिंग की तस्वीरें

  3. 2015 के महागठबंधन की पुरानी तसवीरें (nostalgia touch)

  4. तेजस्वी की हालिया रैली के पोस्टर और भाषण के हाइलाइट्स

  5. एक तुलना ग्राफिक – NDA बनाम INDIA गठबंधन सीट वितरण

निष्कर्ष:

राजद–जदयू के मिलन की खबरें अभी केवल राजनीतिक अटकलें और अफवाहें हैं। दोनों पार्टियां अपनी-अपनी दिशा में चुनावी रणनीति तैयार कर रही हैं।

  • राजद तेजस्वी को केंद्र में रखकर महागठबंधन को लीड कर रही है।

  • जदयू भाजपा के साथ सीट बंटवारे और योजनाओं को अंतिम रूप दे रही है।

इस समय किसी भी ‘गठबंधन की वापसी’ की बात तथ्यात्मक नहीं है।